अनाजों में गेंहु, चावल, बाजरा, मक्का आदि आते हैं। ये कार्बोहाइड्रेट के स्त्रोत है। जो हमारे भोजन के लिए आवश्यक है। मुख्य रूप से अनाज निम्न है।
इसका वैज्ञानिक नाम ट्रिटिकम एस्टिव है।
इसकी प्रमुख किस्में - सोनालिका, कल्याण सोना, शरबती, सोनारा, परताप आदि है।
गेहुं रबी की फसल है।
उपयोग
चपाती, मेदा, सुजी आदि बनाने मेें।
विश्व की जनसंख्या का एक बड़ा भाग चावल को भोजन के रूप में उपयोग करता है। इसका वैज्ञानिक नाम ओराइजा सेटाइवा है।
प्रमुख किस्में - सोना, पदमा, बासमती, स्वर्णदाना, जगन्नाथ, जया परमल, रतन आदि। चावल मुख्य रूप से खरीफ की फसल है।
बाजरा शुष्क क्षेत्रों में भोजन हेतु बोया जाता है। यह शुष्क क्षेत्रों का मुख्य भोजन है। बाजरे से रोटी व खीचड़ा बनाया जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम पेनिसीटम टाइफोइडस(अमेरिकेनम) है।
प्रमुख किस्में - पुसा संकर।
यह खरीफ की फसल है।
मक्का का उपयोग भी भोजन के रूप में किया जाता है। इससे रोटी, खीचड़ा बनाया जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम जीया मेज है।
प्रमुख किस्में - सोना, अम्बर, गंगा, जवाहर, विजय, रतन, शक्ति।
यह खरीफ की फसल है।
दालों में प्रोटिन प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। अतः ये भी हमारे भोजन का हिस्सा है। प्रमुख दालें निम्न है-
चने का उपयोग दाल के रूप में करते है चने के आटे से रोटियां भी बनाई जाती है तथा कई प्रकार की मिठाईयों तथा पकवानों में इसका उपयोग किया जाता है। इसलिए इसे दालों का राजा कहा जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम साइसर ऐरीटिनम है।
प्रमुख किस्में - काबुली, इन्दौरी तथ देशी काला चना।
मधुमेह के रोगीयों के लिए चने के आटे की रोटियां लाभकारी होती है।
यह रबी की फसल है।
कुछ अन्य दालों के वैज्ञानिक नाम
मुंग - विग्ना रेडियेटा
उड़द - विग्ना मूंगो
अरहर - केजेनस केजन
मुंगफली - आरसीस हाइपोगीया(Arachis hypogea)
सोयाबीन - ग्लाइसीने मेक्स(Glycine max)
सब्जियां भी अनाज व दालों की भांति भोजन का मुख्य हिस्सा है। प्रमुख सब्जियां व उनके वैज्ञानिक नाम निम्न है।
आलु - सोलेनम टयुबरोसम
गाजर - डाॅकस केरोटा
गोभी - ब्रैसिका ओलेरिसया वेरा
मूली - रेफेनस सटाइबस
टमाटर - लाइकोपर्सिकोन एस्कुलेन्टम
बैंगन - सोलेनम मेलोन्जिना
भिण्डी - एबिलमाॅस्कम एस्कुलेन्टस
1. सिनकोना - पौधे की छाल मलेरिया उपचार मं उपयोगी
2. लहसुन - इसका उपयोग आंत संबंधी एवं लिवर संबंधी बिमारियों में होता है।
3. नीम - त्वचा संबंधी रोगों में व जीवाणुनाशी के रूप में
4. हल्दी - त्वचा सम्बन्धी रोगों में लाभदायक।
5. अदरक - अदरक का उपयोग गले के रोग में व पाचन शक्ति बढ़ाने में होता है।
6. आंवला - आंवले के फल का उपयोग कब्ज, कफ, खांसी, स्कर्वी रोग में लाभदायक है तथा यह विटामिन सी का श्रेष्ट स्त्रोत है।
7. हींग - कफ, दमा में व पाचन शक्ति बढ़ाने में।
8. कपूर - कठिया दर्द तथा मरोड में उपयोगी।
9. अफिम - दर्द निवारक के रूप में, यह एक नशीला अधपके फल का दुध है।
10. धतुरा - धतुरे के पौधे का उपयोग गठिया के उपचार में किया जाता है।
11. अश्वगंधा - गठिया रोग व जोड़ों के रोग में लाभदायक।
12 गुगल - बवासीर, कोलेस्ट्राल नियंत्रण में।